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हरे ज़ख्मों को भरें भी तो किसके लिए !

  • Writer: Deepak RS Sharma
    Deepak RS Sharma
  • Mar 21, 2021
  • 1 min read


जीते जी हम मरे भी तो किसके लिए !!

जो कुछ लुटा जा रहा है, लुट जाने दो,

उसके बगैर अब लड़े भी तो किसके लिए !!

बड़ी लंबी फेहरिस्त है उनके शिकवों की,

अब खुद को बदलें भी तो किसके लिए !!

न पूछो रोती आंखों में सूजन की वजह,

न पूछो रात भर टपकती रहीं ये किसके लिए !!

टूटे हुए दिल के टुकड़े बिखरे पड़े हैं,

इन टुकड़ों को सँभालें भी तो किसके लिए !!

मेरे लाड़लों मेरे टूटने का अफ़सोस न करो,

ये मोती से आंसू लूटा रहे हो किसके लिए !!

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